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शनिवार, 31 दिसंबर 2011

आप सभी को मेरी तरफ से "नव वर्ष की शुभकानाएँ"

इस वर्ष तन्हाई ने मेरे दिल में दस्तक ना दी, चारों तरफ खुशियों का एक समा सा रहा है
बदौलत इसके मेरी कलम कुछ रुकसत सी हो गयी मुझसे,जैसे सारी तन्हाईयों को समेट लिया अपने आगोश में
मैंने कहा भूल गयी अपनी "बेला" को, वो आ रही है और तुम्हें बुला रही है
मैंने इतना कहा ही था की बस जैसे मानो तूफ़ान सा उठ खड़ा हुआ
तन्हाईयो का आलम मेरी कलम के मोती बनकर कुछ इस तरह बिखरा कलम. . .
"नव वर्ष आते रहे ढेर सारी खुशियों की सौगात लाते रहे,
आशा और निराशा से तो जीवन भरा पड़ा हुआ है, कुछ खुशियों के दीप हम भी जलाते रहें,
नव वर्ष कल्याणकारी हो, मंगलकारी हो, वर्ष भर हर्षोउल्लास बना रहे,
जिदगी का एक साल गुजर जाएगा, जिंदगी के बसंत में एक और बसंत हमेशा जुड़ता रहे, यही कामना रखतें है. . ."

आप सभी को मेरी तरफ से "नव वर्ष की शुभकानाएँ"
"नव वर्ष मंगल मय हो"

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