आपको और आपके समस्त परिवार को
नए साल के आगमन पर हार्दिक बधाईयाँ
Yogesh Chandra Upreti
Software Engineer
Alchemist Group, Chandigarh, India
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हिन्दी साहित्य के श्रेष्ठतम राष्ट्रवादी गीत |
15 अस्त 197 |
अरुण यह मधुमय देश हमारा |
प्रयाण गीतः वीर तुम बढ़े चलो सोहन लाल द्विवेदी स्वरः निखिल कौशिक |
खूब लडी मरदानी वो तो झाँसी वाली रानी थी |
यह भारतवर्ष हमारा है, हमको प्राणों से प्यारा है |
चल मरदाने सीना ताने |
भारती वंदनाः भारती जय विजय करे |
जहाँ डाल डाल पर सोने की चिडिया करती हैं बसेरा |
हमको तो प्यारा लगता, अपना छोटा गाँव रे।।
चलो-चलो बाग़ों में खाएँ,जी भर के हम आम रे।।
काले भ्रमरों-सी जामुन भी, दीख रहीं डाली-डाली।
लाठी लेकर करता रहता, माली हरदम रखवाली।।
फिर भी बच्चे छुपकर तोड़ें, अमियाँ यहाँ तमाम रे।।
हल से जोतें खेतों को फिर, उस पर चले पटेला है।।
हमको बिठा पटेला ताऊ, मींड़ा करते ढेला है।।
दादा के संग दाँय चलाएँ, लेते रहें विराम रे।।
हरियाली के नीचे सुख से, निर्धनता भी सोई है।।
यहाँ प्रदूषण का ख़तरा भी हमको लगे न कोई है।।
बैठ आम के नीचे पढ़ते, आए न छनकर घाम रे।।
ठाकुर-बामन, नाई-तेली, हरिजन, जाटव, सक्का भी।
संकट के क्षण हो जाता है सारा गाँव इकठ्ठा भी।।
सभी धर्म मिल कर हैं रहते, झगड़े का क्या काम रे।।
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
अकसर तुझको देखा है कि ताना बुनते
जब कोइ तागा टुट गया या खत्म हुआ
फिर से बांध के
और सिरा कोई जोड़ के उसमे
आगे बुनने लगते हो
तेरे इस ताने में लेकिन
इक भी गांठ गिराह बुन्तर की
देख नहीं सकता कोई
मैनें तो ईक बार बुना था एक ही रिश्ता
लेकिन उसकी सारी गिराहे
साफ नजर आती हैं मेरे यार जुलाहे
दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई
आईना देख के तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
पक गया है शजर पे फल शायद
फिर से पत्थर उछालता है कोई
फिर नजर में लहू के छींटे हैं
तुम को शायद मुघालता है कोई
देर से गूँजतें हैं सन्नाटे
जैसे हम को पुकारता है कोई ।
मकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं........
जवाब देंहटाएंआपको भी हार्दिक शुभकामनाएं . . .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मनप्रीत कौर जी अभी क्या बताएं समय की थोड़ी कमी सी ही रह जाती है दिल तो बहुत चाहता है की हमेशा कुछ ना कुछ नया करें पर अभी थोडा सा अभाव है समय का वैसे आपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपने मेरे ब्लॉग पर अपना ध्यान केन्द्रित किया आपके ऐसे ही प्रोत्साहन की जरुरत है . . . दीपावली के पावन मौके पर आपको और मेरे समस्त मित्रो को हार्दिक बधाईयाँ
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