अहा ! वही उदार है, परोपकार जो करें
वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरें...
परोपकार कोई धर्म नहीं, यही धर्मो का धर्म है, यही कर्म है
परोपकार से ही रिद्धि है, परोपकार से ही सिद्धि है
अहा ! वही सदाचारी है, परोपकार जो करें
वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरें...
परोपकार क्षमा है, परोपकार शत्रु का मित्र है
परोपकार शुभ कर्म है, परोपकार सज्जन्न्ता है
विराग ज्ञान ध्यान तप, विवेक धैर्य त्याग परोपकार ही है
अहा वही प्रेरणाश्रोत है, परोपकार जो करें
वही मनुष्य है जो मनुष्य के लियें मरें...
हर मनुष्य उपकार करें, एक दूसरे पे परोपकार करें यही मेरे जीवन का मूल सिद्धांत है। यही मेरे जीवन का आदर्श है।
लेखनी- योगेश चन्द्र उप्रेती
सच कहाँ आपने।
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आभार!
जवाब देंहटाएंआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसच कहा है.जीवन में परोपकार से बढ़कर कोई भी बड़ा पुण्य और कोई धर्म नहीं है.तुम्हारी रचनाओं में ये दिल को छू लेने वाली बातें बहुत अच्छी लगती हैं.उम्मीद है आगे भी इसी तरह की सुन्दर रचनाओं के मोती अपनी कलम से बिखेरते रहोगे.
जवाब देंहटाएंआपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंNice effort sir... Keep it up.... :)
जवाब देंहटाएं@Raksha Thanks a lot.
जवाब देंहटाएंSahi kah rahe hai yogesh ji wahi manushya hai jo manushya k liye mare..
जवाब देंहटाएंवो राहुल जी क्या है ना की हर इंसान की सोच का एक दायरा होता है अगर उस दायरे से निकल कर इस दुनिया की सोच के दरिया में ना डूब जाओ तब तक आप कुछ कर नहीं सकते . . . तो आओ मिलकर एक सुखी संसार की कल्पना करें . . . एक दुसरे का आदर करें यह कार्य किसी परोपकार से कम नहीं है . . . .
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