/* */


शनिवार, 31 दिसंबर 2011

आप सभी को मेरी तरफ से "नव वर्ष की शुभकानाएँ"

इस वर्ष तन्हाई ने मेरे दिल में दस्तक ना दी, चारों तरफ खुशियों का एक समा सा रहा है
बदौलत इसके मेरी कलम कुछ रुकसत सी हो गयी मुझसे,जैसे सारी तन्हाईयों को समेट लिया अपने आगोश में
मैंने कहा भूल गयी अपनी "बेला" को, वो आ रही है और तुम्हें बुला रही है
मैंने इतना कहा ही था की बस जैसे मानो तूफ़ान सा उठ खड़ा हुआ
तन्हाईयो का आलम मेरी कलम के मोती बनकर कुछ इस तरह बिखरा कलम. . .
"नव वर्ष आते रहे ढेर सारी खुशियों की सौगात लाते रहे,
आशा और निराशा से तो जीवन भरा पड़ा हुआ है, कुछ खुशियों के दीप हम भी जलाते रहें,
नव वर्ष कल्याणकारी हो, मंगलकारी हो, वर्ष भर हर्षोउल्लास बना रहे,
जिदगी का एक साल गुजर जाएगा, जिंदगी के बसंत में एक और बसंत हमेशा जुड़ता रहे, यही कामना रखतें है. . ."

आप सभी को मेरी तरफ से "नव वर्ष की शुभकानाएँ"
"नव वर्ष मंगल मय हो"

"नव वर्ष का जन्म दिन"

नव वर्ष मंगल मय हो, नव वर्ष की हार्दिक बधाईयां,
एक "जन्म दिन" ऐसा भी इस बार "नव वर्ष" का कुछ नए तरीके से आगमन करते है . . .

तुम तो आ ही गए, तुम्हें तो आना ही था "नव वर्ष"
नव वर्ष मानो कोई बच्चे ने जन्म लिया हो, उसे सहलाते रहे खिलखिलाते रहे
कभी बारिश की बूँद बनकर अपने रोने का एहसास दिलाता है,
तपती धुप से तेजस्वी होने का, तो कभी पतझड़ में भूख लगने का एहसास दिलाता है,
ठण्ड में तो मानो जैसे सारे दुःख दर्द समेटे हुए हो, कोहरा तो ऐसे जैसे जख्मो पे पट्टी बधी हो,
हर बदलते मौसम में अपने नए नए अंदाज दिखलाता है,
धरती माँ की बाहों में खेलता कूदता, पितृ समान आसमान की चादर ओढ़े, बादलों की छावं में रहता है,
ऋतुओ के संग, होली के रंग, दीपावली में दीपो संग, ईद के चाँद से, चांदनी रात से अन्य सभी त्योहारों से मन बहलाता रहता है,
प्रक्रति से तो ऐसे खेल खेलने लगा है मानो जैसे अपने क्रोध का एहसास दिला रहा हो,
हर पल, आठों पहर, और पुरे १२ महीने, जिंदगी के हर पहलु को भरपूर जीकर पुनर्जन्म लेता है,
प्रत्येक "नव वर्ष" के आगमन पर हम प्रफुल्लित हो जाते है हर्षोउल्लास से भर जातें है प्रत्येक दैनिक दिनचर्या के कारण तुम्ही हो,
तुम आ गए हो, तुम तो आ ही गए, तुम्हें तो आना ही था "नव वर्ष"

तभी तो हम हर बच्चे को ईश्वर का रूप मानते है, जो की स्वयँ सृष्टि के रचयिता है.
तो इस नव वर्ष हम भी खेलेंगे घुलेंगे मिलेंगे आपस में हम भी इसी प्रकार अपनी अभिलाषाओं को पूरा करेंगे.

मेरे समस्त मित्रवरो को "नव वर्ष" के "जन्म दिन" की हार्दिक बधाईयां नव वर्ष के आगमन की हार्दिक बधाईयां.

नव वर्ष मंगल मय हो . . .

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

बीतें लम्हें

वो देहरादून की छोटी छोटी बस्तिया, जहां रहती थी कुछ हम जैसी हस्तियाँ
उनमें से थी एक पटेलनगर की बस्ती, जहा छाई थी हर तरफ मस्ती,
वो चाहे हो चाय की दुकान, चाहें हो बोबी भैया का मकान,
चारो दिशाओं में थी बस एक ही चीज, और वो थी बस "मस्ती मस्ती मस्ती",
उनमें से चंद लम्हे मेरी कलम ढूड पायी . . .

कॉलेज की वो मस्ती, पटेलनगर की हर एक बस्ती,
वो छोटी छोटी सी बातें लम्बा बहाना, गर्मियों में अक्सर दो बार नहाना,
वो किताबें वो कॉपियाँ, एक रूपये में आती थी दो दो फोटोकापियां,
वो लड़ना झगड़ना, वो सब जूनियर्स पर अकड़ना,
वो टीचर्स को छेड़ना, वो दोस्तों की पिटाई,
वो गर्मियों की छुट्टियां, वो अल्मोड़ा की बाल मिठाई,
वो सीनियर्स की धुन पे हमारा नाचना,वो सोचना अगले साल हमे भी है नचाना
वो पांच रूल्स अब तो गए सारे भूल, मगर ना भूली क़यामत की रात
वो रात गयी वो बात गयी , नए साल का नया तराना
वो नए नए जूनियर्स ,जिनको था अब हमने नचाना,
वो मोर्निंग वो इवनिंग का तराना चला आ रहा था सदियों पुराना,
वो मेरे प्यारे मित्र आज बहुत याद आयें, ढेर सारे तराने खुशीयों के लायें,
वो छोटी छोटी बातों पे गुस्सा हो जाना,
वो १४ फरवरी को मेरा दोस्तों को मनाना, "याद आता है अक्सर मुझे",
वो पढाई से नजरे चुराना, वो रात रात भर दोस्तों को मिसकॉल मारना,
दिन गुजर गयें वो ना जाने कैसे , अब तो बाकीं है बस यादें ,
और सब बन गया गुजरा ज़माना ,चाहता हूँ " कॉलेज के दिन " तू फिर लौट आना,
बीतें हुए लम्हों को लौटा जाना . . .

लिखिए अपनी भाषा में