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मंगलवार, 14 सितंबर 2010

हिंदी दिवस पर विशेष "हिंद देश के निवासी सभी जन एक है ! रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं !! "

आज मेरा जन्मदिन हैं. और आज ही हिंदी दिवस भी...
इस खुशी के पावन मौके पर में चुप ना रह सकूंगा..
केवल इतना ही कहूंगा...

क्यों आज हिंदी भाषा पूरब से पश्चिम की ओर बहने लगी है...
क्या वाकई हिंदी भाषा अंग्रेजी भाषा के भंवर में खीचें जा रही है...
क्या हमें भी मंथन करना होगा अपनी भाषा को बचाने के लियें...
क्यों आज हम ऐसे पश्चिमी माहौल में जी रहे है...
कही हम खुद ब खुद अपनी भाषा की नय्या तो नहीं डुबो रहे है...
क्यों ना आज हिंदी दिवस के मौके पर हम एक प्रण करें...
अपनी माँतृ भाषा को सजोयें और उसका गुणगान करें और हर किसी के सम्मुख उसको बयान करें...
मेरा मधुर मन है व्यथाओ का किन्तु आज मुझे मुस्कुरा के कहना ही होगा...
"हिंद देश के निवासी सभी जन एक है ! रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं ! "
"हिंद देश के निवासी सभी जन एक है !"
जय हिंद जय भारत 

लेखक:- योगेश चन्द्र उप्रेती

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