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गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

जहाँ साथ रहे हों,जहाँ दोस्तों के मेले हों
हर सुबह संदील हो, हर शाम रंगीन हो
कुछ ऐसा ही था अपना यह स्पेशल घर
जहाँ गम की कोई ना बात हो,हमेशा खुशियों की सौगात हों
सोचता हूँ की एक ऐसा ही घर बनाऊं,अपने प्यारें दोस्तों को बुलाऊँ
फिर मिलकर झूमें गायें धूम मचाएं जस्न मनाएं...

10 टिप्‍पणियां:

  1. हिंदी ब्लाग जगत की इस सरस दुनिया में आपका स्वागत है...हर तरह के दबाव से मुक्त यह स्वतंत्र पर्यावरण आपकी कलम और आपकी सोच को पूरा पूरा मौका देगा कि यह लगातार ऊंचे से ऊंचे उड़ सकें....अन्य ब्लागों और उनके कलमकारों के साथ आपके मित्रता पूर्ण संबंध इसे और बल प्रदान करेंगे....सो अधिक से अधिक ब्लागों के अध्यन को अपनी अन्य अच्छी आदतों में शामिल करें और पढ़ी हुयी रचनायों पर टिप्पणी करना न भूलें...

    योगेश जी आपकी कलम के मोती वास्तव में आपकी लेखन साधना के आकाश पर चमक रहे सितारे भी हैं..

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  2. जय श्री कृष्ण ...आप हिंदी में लिखते हैं। अच्छा लगता है। मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं | हमारे ब्लॉग पर आपके विचारों का स्वागत हैं|

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  3. मेरे मित्रो समय की कमी के कारण सबसे पहले तो में माफी चाहूँगा की में आपके इतने सुंदर टिप्पड़ियों को देखकर मेरा मन बहुत प्रफुल्लित हुआ है में आप सभी का तहे दिल से शुक्र गुजार करता हूँ.
    आपका यह योगदान मेरी छवी को कवि की भूमिका में बदलने के लियें अत्यधिक आवश्यक है. आपका बहुत बहुत धन्यवाद आप ऐसे ही प्रोत्साहन देते रहिएगा आपका सहयोग बहुत ही अनमोल है .....
    आपका अपना योगेश चन्द्र उप्रेती

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  4. एकदमसही कहा है.अपना घर होता ही ऐसा है....उसपर भी अगर अपने पुराने दोस्तों के साथ अच्छे पल बिताने को मिले तो फिर कहना ही क्या.समय की रफ़्तार को हम थाम तो नहीं सकते लेकिन साथ गुजरे अच्छे पलों को यद् करके खुश जरूर हो सकते हैं...बहुत सटीक लिखा है...आशा है ऐसे ही अच्छी रचनाएँ आप अपनी कलम से कलान्वित करते रहेंगे....

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  5. योगेश जी आपका ब्लोग कुछ हट कर लगा ….... मैं भी गुलजार जी फैन हूँ उनकी शायरी बेमिसाल है

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  6. आपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार धन्यवाद सुमन'मीत'जी...
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद आप ऐसे ही प्रोत्साहन देते रहिएगा...

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